वॉशिंगटन, 1 अक्टूबर 2025। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पार्टी को सीनेट में बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। सरकार को अस्थायी रूप से फंड देने के लिए लाया गया प्रस्ताव सिर्फ 55 वोट ही जुटा सका, जबकि इसे पारित कराने के लिए कम से कम 60 वोटों की जरूरत थी। प्रस्ताव के अस्वीकृत होने के साथ ही अमेरिका अब एक और शटडाउन के मुहाने पर आ खड़ा हुआ है।
शटडाउन का संकट
फंडिंग बिल पास न होने की स्थिति में, अमेरिकी कानून के तहत सरकार को अपने ‘गैर-जरूरी’ विभागों और सेवाओं को बंद करना पड़ता है। इसे ही “सरकारी शटडाउन” कहा जाता है। ट्रंप प्रशासन के पास अब जरूरी फंड नहीं बचा है, जिससे कई संघीय कार्यालयों और सेवाओं के ठप होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
शटडाउन क्यों होता है?
अमेरिकी सरकार के विभिन्न विभागों को चलाने के लिए हर साल संसद से बजट या अस्थायी फंडिंग बिल पास कराना अनिवार्य होता है। जब राजनीतिक गतिरोध के चलते यह बिल पारित नहीं हो पाता, तो सरकार कानूनी रूप से खर्च करने में असमर्थ हो जाती है। परिणामस्वरूप, सरकारी मशीनरी के गैर-जरूरी हिस्सों को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ता है।
इस बार शटडाउन में क्या होगा?
1 अक्टूबर से अमेरिका में नया वित्तीय वर्ष शुरू हो रहा है, लेकिन बिना बजट के शटडाउन भी साथ शुरू होगा।
लगभग 8 लाख फेडरल कर्मचारी बिना वेतन के अनिवार्य अवकाश (लीव) पर भेजे जा सकते हैं।
हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज विभाग ने 41% कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजने की तैयारी की है।
नेशनल पार्क, म्यूजियम, और कई सरकारी वेबसाइटें बंद हो सकती हैं।
कानून व्यवस्था, एयरपोर्ट सुरक्षा, मेडिकल सेवाएं जैसी जरूरी सेवाएं जारी रहेंगी, लेकिन इन पर दबाव बढ़ेगा।
उड़ानों में देरी और यात्रा सेवाओं में अव्यवस्था की आशंका जताई जा रही है।
क्या होगा आर्थिक असर?
विशेषज्ञों का मानना है कि शटडाउन यदि लंबा चला तो इसका गहरा प्रभाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा:
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शेयर बाजार में अस्थिरता आ सकती है।
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निवेशकों का भरोसा कमजोर होगा।
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सरकारी योजनाएं रुकेगीं और अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो सकती है।
ट्रंप की रणनीति या मजबूरी?
यह सात साल में पहली बार होगा जब अमेरिका फंड की कमी के कारण शटडाउन की स्थिति में पहुंचेगा। गौरतलब है कि ट्रंप के पिछले कार्यकाल में 2018 का शटडाउन 34 दिनों तक चला था, जो अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन था।
इस बार भी संकेत मिल रहे हैं कि ट्रंप इस संकट का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर सकते हैं। जानकारों का कहना है कि वे शटडाउन की आड़ में कर्मचारियों की छंटनी और कुछ योजनाओं को बंद करने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
