देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने हाल ही में अमेरिकी अखबार द वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत सरकार ने मई 2025 में एलआईसी से करीब 3.9 अरब डॉलर (लगभग 34,000 करोड़ रुपये) का निवेश अदाणी समूह की कंपनियों में करने का प्रस्ताव तैयार किया था। एलआईसी ने इस रिपोर्ट को “झूठा, निराधार और भ्रामक” करार देते हुए कहा है कि उसके निवेश से जुड़े सभी निर्णय स्वतंत्र और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत लिए जाते हैं।
एलआईसी ने किया वाशिंगटन पोस्ट के दावों का खंडन
एलआईसी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि द वाशिंगटन पोस्ट द्वारा लगाए गए आरोप सच्चाई से कोसों दूर हैं। कंपनी ने साफ किया कि न तो ऐसा कोई दस्तावेज मौजूद है और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव कभी तैयार किया गया, जिसमें अदाणी समूह की कंपनियों में बड़े निवेश की योजना का जिक्र हो।
एलआईसी ने कहा,
“निवेश से जुड़े निर्णय किसी बाहरी दबाव या कारणों से प्रभावित नहीं होते। ये फैसले एलआईसी की विस्तृत जांच-पड़ताल और उसके बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीतियों के अनुसार स्वतंत्र रूप से लिए जाते हैं।”
कंपनी ने आगे कहा कि उसके सभी निवेश निर्णय वित्तीय सेवा विभाग या किसी अन्य सरकारी निकाय के हस्तक्षेप से मुक्त होते हैं और यह प्रक्रिया पूरी तरह पेशेवर मानकों का पालन करती है।
निवेश नीति और पारदर्शिता पर एलआईसी का ज़ोर
एलआईसी ने स्पष्ट किया कि उसके निवेश निर्णय मौजूदा नियामक दिशानिर्देशों, अधिनियमों और बोर्ड-अनुमोदित नीतियों के अनुरूप लिए जाते हैं। कंपनी ने कहा कि इस रिपोर्ट का उद्देश्य एलआईसी की प्रतिष्ठा और भारत के वित्तीय क्षेत्र की छवि को नुकसान पहुंचाना है।
एलआईसी के मुताबिक,
“लेख में दिए गए कथित बयान हमारी सुव्यवस्थित निर्णय प्रक्रिया को बदनाम करने के इरादे से दिए गए प्रतीत होते हैं। एलआईसी एक विश्वसनीय संस्था है जिसने दशकों से अपने हितधारकों के भरोसे को बनाए रखा है।”
एलआईसी के निवेश का मूल्य 10 गुना बढ़ा
एलआईसी ने यह भी बताया कि उसने पिछले कुछ वर्षों में मजबूत बुनियादी सिद्धांतों और विस्तृत रिसर्च के आधार पर विभिन्न कंपनियों में निवेश किया है।
2014 में एलआईसी का भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में कुल निवेश मूल्य 1.56 लाख करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 15.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है — यानी 10 गुना वृद्धि। यह कंपनी की फंड मैनेजमेंट क्षमता और निवेश रणनीति की मजबूती को दर्शाता है।
एलआईसी फिलहाल 41 लाख करोड़ रुपये (500 अरब डॉलर से अधिक) की संपत्ति का प्रबंधन करती है और यह देश का सबसे बड़ा संस्थागत निवेशक है। इसके निवेश लगभग हर बड़े व्यावसायिक समूह, बैंक और उद्योग में फैले हुए हैं।
अदाणी समूह पर एलआईसी का निवेश कितना है?
कंपनी के पोर्टफोलियो के मुताबिक, अदाणी समूह में एलआईसी की हिस्सेदारी करीब 4% (लगभग 60,000 करोड़ रुपये) है। यह एलआईसी की शीर्ष होल्डिंग्स में शामिल तो है, लेकिन सबसे बड़ी नहीं।
एलआईसी की अन्य प्रमुख हिस्सेदारियां इस प्रकार हैं:
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड – 6.94% (1.33 लाख करोड़ रुपये)
आईटीसी लिमिटेड – 15.86% (82,800 करोड़ रुपये)
एसबीआई – 9.59% (79,361 करोड़ रुपये)
एचडीएफसी बैंक – 4.89% (64,725 करोड़ रुपये)
टीसीएस – 5.02% (5.7 लाख करोड़ रुपये)
इन आँकड़ों से साफ है कि एलआईसी का निवेश पोर्टफोलियो बेहद विविधीकृत है, जिससे जोखिम का वितरण सुनिश्चित होता है।
अदाणी समूह में वैश्विक निवेशकों का भरोसा
रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह और एलआईसी के संबंधों पर फिर चर्चा छिड़ गई, लेकिन वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि अदाणी समूह में निवेश करना किसी असामान्य निर्णय का हिस्सा नहीं है। अमेरिका के प्रमुख फंड ब्लैकरॉक, अपोलो, जापान के मिजुहो और एमयूएफजी, तथा जर्मनी के डीजेड बैंक जैसे वैश्विक निवेशकों ने भी हाल के महीनों में अदाणी के ऋण में निवेश किया है।
एलआईसी का अदाणी समूह पर कर्ज कुल समूह ऋण का दो प्रतिशत से भी कम है।
