कोलकाता में बीएलओ प्रदर्शन: एसआईआर कार्यभार पर नाराजगी, सीईओ कार्यालय में हंगामा

कोलकाता, 24 नवंबर । पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत काम कर रहे बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) सोमवार को काम के कथित अत्यधिक दबाव के विरोध में प्रदर्शन पर उतर गए। प्रदर्शनकारियों ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय में घुसने का प्रयास किया और पुलिसकर्मियों तथा सुरक्षा कर्मचारियों के साथ हाथापाई की।

प्रदर्शन की शुरुआत उत्तरी कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से हुई, जहाँ बीएलओ अधिकार रक्षा समिति के सदस्यों ने जुलूस निकाला। जुलूस में ताले और बेड़ियों के जरिए प्रतीकात्मक रूप से सीईओ कार्यालय का मुख्य द्वार बंद करने का प्रयास किया गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए निर्वाचन आयोग पर अत्यधिक दबाव डालने का आरोप लगाया।

शाम को दस सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमें चार बीएलओ और छह शिक्षक या राज्य सरकार के कर्मचारी शामिल थे, अपने ज्ञापन के साथ सीईओ मनोज अग्रवाल के कार्यालय पहुंचे। हालांकि सीईओ की अनुपस्थिति में उनके अधीनस्थ ने ज्ञापन स्वीकार किया। प्रतिनिधिमंडल जब बाहर निकल रहा था, तो कुछ सदस्य ने आरोप लगाया कि उन्हें धमकी भरे संदेश मिले, जिसके बाद समूह ने कार्यालय परिसर में अचानक धरना शुरू कर दिया।

हंगामा बढ़ने पर पुलिस और सुरक्षा कर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को बाहर निकाल दिया। इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने मध्य कोलकाता स्थित सीईओ कार्यालय में घुसने के लिए पुलिस अवरोधक तोड़ने का प्रयास किया था। बीएलओ का कहना था कि उन्हें जुलूस निकालने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि निर्वाचन आयोग ने एसआईआर अभियान के दौरान अत्यधिक और अमानवीय कार्य दबाव की उनकी शिकायतों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

एक अधिकारी ने बताया कि बीएलओ को कम समय में कार्य पूरा करने का निर्देश दिया गया, जबकि आम तौर पर यह काम दो साल से अधिक समय में पूरा होता है। समिति ने यह भी आरोप लगाया कि बीएलओ तनाव के कारण बीमार पड़ रहे हैं और इस दौरान दो बीएलओ ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली।

बीएलओ अधिकार रक्षा समिति ने चेतावनी दी है कि यदि समय-सीमा नहीं बढ़ाई गई या सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो वह लगातार विरोध कार्यक्रम आयोजित करेगी। वहीं, बीएलओ ओइक्या मंच ने गणना प्रपत्रों के डिजिटलीकरण और अतिरिक्त सहायक कर्मचारियों की मांग उठाई।

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य साकेत गोखले ने कहा कि पार्टी एसआईआर के विरोध में नहीं है, लेकिन पश्चिम बंगाल में इसे “जल्दबाजी, अव्यवस्थित और अपारदर्शी तरीके” से किया जा रहा है। उन्होंने चेताया कि बीएलओ या तो थककर बीमार हो रहे हैं या आत्महत्या कर रहे हैं, जबकि इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए था।

एसआईआर अभियान 4 नवंबर से शुरू हुआ और 4 दिसंबर तक जारी रहेगा, जबकि मसौदा नामावलियां 9 दिसंबर को प्रकाशित की जाएंगी। निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों बीएलओ संगठनों की मांगें सीईओ कार्यालय को प्राप्त हो चुकी हैं, लेकिन आंदोलन पर आयोग की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

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