कुरुक्षेत्र में बोले राजनाथ सिंह-‘ऑपरेशन सिंदूर’ में हमने भगवान कृष्ण के संदेश का किया पालन

चंडीगढ़, 24 नवम्बर । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में 10वें अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत द्वारा संचालित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और न्याय की रक्षा के प्रति राष्ट्र की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक था। उन्होंने कहा कि यह अभियान उसी संदेश से प्रेरित था जो भगवान कृष्ण ने महाभारत के युद्ध से पहले पांडवों—विशेषकर अर्जुन—को दिया था।

रक्षा मंत्री ने कहा, “भगवान कृष्ण ने बताया था कि युद्ध प्रतिशोध या महत्वाकांक्षा के लिए नहीं, बल्कि धर्म और न्याय के शासन की स्थापना के लिए लड़ा जाना चाहिए। जो व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलता है, वह कभी नहीं डरता।”

राजनाथ सिंह ने अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि निर्दोष पर्यटकों पर धर्म पूछकर की गई हत्या आज भी राष्ट्रीय चेतना को झकझोरती है। उन्होंने कहा कि इस घटना को आतंकवादियों और उनके संरक्षकों ने भारत की शांति-प्रिय छवि को कमजोरी समझकर अंजाम दिया, लेकिन वे भूल गए कि भारत गीता का देश है, जहां करुणा तो है ही, साथ ही धर्म की रक्षा हेतु आवश्यक होने पर दृढ़ता से खड़े होने की क्षमता भी है।

सभा को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से सशस्त्र बलों ने ऐसा कड़ा जवाब दिया जिसे आतंकवादी आज तक भूल नहीं पाए हैं। हमने दुनिया को दिखाया कि भारत युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अगर मजबूर किया जाता है तो भारत न भागता है, न पीछे हटता है—बल्कि निर्णायक जवाब देता है।”

उन्होंने कहा कि यह अभियान भारत की आत्म–प्रतिबद्धता, आत्म–सम्मान और आत्म–विश्वास की घोषणा था।
“ऑपरेशन सिंदूर धर्म पर आधारित कर्म था। हमने वही किया जो श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को समझाया था—धर्म केवल उपदेशों से सुरक्षित नहीं रहता; इसे कर्मों से सुरक्षित रखना पड़ता है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद के सामने झुकने वाला नहीं है और न ही कभी कमजोर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि राष्ट्र की रक्षा और न्याय की स्थापना के लिए भारत हर कदम उठाने को तैयार है।

कार्यक्रम में हरियाणा के मंत्री अनिल विज और स्वामी ज्ञानानंद महाराज समेत कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी संबोधित किया।
इस अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन का आयोजन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने संयुक्त रूप से किया है।

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