उप्र: अधिवक्ताओं के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का ब्यौरा तलब

प्रयागराज, दो दिसंबर : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश में पुलिस अधिकारियों को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में पंजीकृत अधिवक्ताओं के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का व्यापक विवरण जल्द से जल्द उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने इटावा के एक अधिवक्ता मोहम्मद कफील द्वारा दायर एक आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
कफील ने जिला अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें एक मामले में पुलिस अधिकारियों को समन जारी करने का उनका अनुरोध ठुकरा दिया गया था। अदालत ने रिकॉर्ड और हलफनामे पर गौर करने के बाद पाया, “हलफनामा के मुताबिक, याचिकाकर्ता को तीन आपराधिक मामलों में फंसाया गया और इनके सभी भाइयों को कट्टर अपराधी बताया गया। ऐसी परिस्थितियों में यह विचार करना आवश्यक है कि ऐसी आपराधिक कार्यवाही में याचिकाकर्ता की संलिप्तता, उसकी पेशेवर निष्ठा पर किस हद तक प्रभाव डाल सकती है।”
अदालत ने कहा, “क्या याचिकाकर्ता का आचरण किसी भी तरह से अदालतों के कामकाज पर असर डाल सकता है और क्या वह एक निष्पक्ष व विश्वसनीय ढंग से अपने पेशेवर दायित्व का निर्वहन करने में सक्षम है, यह निर्धारित करने के लिए आकलन आवश्यक है।”
उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के माध्यम से सभी पुलिस आयुक्तों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों और पुलिस अधीक्षकों को बार काउंसिल में पंजीकृत अधिवक्ताओं के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का विस्तृत विवरण यथाशीघ्र उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
अदालत ने 26 नवंबर को दिए आदेश में कहा कि संबंधित अधिकारी अगर चाहें तो वे इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त जानकारी सीलबंद लिफाफे में सीधे इस अदालत को या महानिबंधक के जरिए भेज सकते हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा, “इस अदालत के संज्ञान में यह तथ्य आया है कि आपराधिक इतिहास वाले कुछ अधिवक्ताओं के आचरण की वजह से कई मौकों पर जिला कचहरी का कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।”
न्यायमूर्ति ने कहा, “अदालत के संज्ञान में यह तथ्य भी आया है कि कई जिलों में आपराधिक इतिहास वाले और गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे अधिवक्ता संबंधित जिला बार एसोसिएशन में पदों पर काबिज हैं।”
अदालत ने कहा, “विधिक व्यवस्था महज संवैधानिक प्रावधानों से ही नहीं बल्कि आम जनता के भरोसे से ताकत प्राप्त करती है। अधिवक्ता और बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के पास एक अनूठा संस्थागत पद होता है। इसलिए उनका आचरण वैधता और पेशेवर रुख से अटूट रूप से जुड़ा है।

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