उपराज्यपाल ने वार्ता में ‘असंतुलित’ प्रतिनिधित्व को लेकर लद्दाख में नाराजगी स्वीकार की

जम्मू, 19 नवंबर। लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने बुधवार को स्वीकार किया कि केंद्र सरकार और स्थानीय समूहों के बीच जारी वार्ता में प्रतिनिधित्व को लेकर असंतुलन की शिकायतें सामने आई हैं। उन्होंने माना कि क्षेत्र के कुछ लोग इस “असंतुलित प्रतिनिधित्व” से नाखुश हैं, लेकिन उम्मीद जताई कि सभी मुद्दे बातचीत के जरिए सुलझा लिए जाएंगे।

उपराज्यपाल ने ‘पीटीआई वीडियो’ से बातचीत में बताया कि लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने गृह मंत्रालय की उप-समिति के साथ पिछली बैठक के बाद अपनी मांगों का 29 पृष्ठों का मसौदा प्रस्ताव तैयार किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने दोनों निकायों से अपनी मांगों का विस्तृत मसौदा देने को कहा था, ताकि आगे होने वाली बातचीत में इन पर विस्तार से चर्चा हो सके।

हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि वार्ता के मौजूदा दौर में प्रतिनिधियों की संरचना को लेकर कुछ लोग असंतोष जता रहे हैं। उपराज्यपाल ने कहा, “कुछ लोग प्रतिनिधित्व में असंतुलन को लेकर नाराज थे। मैंने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी है, जो इस मामले को सीधे देख रहा है। बेहतर होगा कि उन्हें इस मुद्दे पर चर्चा करने दिया जाए।”

गौरतलब है कि लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन (एलबीए) के पूर्व अध्यक्ष तोंडुप सेवांग चोस्पा ने हाल ही में चिंता जताई थी कि संविधान की छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और सुरक्षा उपायों जैसी महत्वपूर्ण मांगों पर केंद्र से वार्ता कर रही टीम में बौद्ध समुदाय का प्रतिनिधित्व कम है। उन्होंने कहा कि वार्ता में “ज्यादातर प्रतिनिधि मुस्लिम समुदाय से हैं”, जिससे बौद्ध समुदाय के सांस्कृतिक और सामाजिक हितों के पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित न होने की आशंका है।

लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा और उसके बाद की कार्रवाइयों के संबंध में तैयार मसौदा प्रस्ताव में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और अन्य गिरफ्तार व्यक्तियों के लिए आम माफी की मांग भी शामिल है। इस पर उपराज्यपाल ने टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि केंद्र और लद्दाख प्रतिनिधियों के बीच चल रही वार्ता को देखते हुए कोई भी प्रतिक्रिया देना अभी उचित नहीं होगा।

24 सितंबर की हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे। वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था, जबकि बड़ी संख्या में युवाओं को भी लेह में गिरफ्तार किया गया। बाद में अधिकतर को जमानत पर रिहा कर दिया गया।

गुप्ता ने कहा, “वांगचुक के खिलाफ मामला सबूतों के आधार पर दर्ज किया गया था। वार्ता पूरी होने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। इस समय कोई भी टिप्पणी करना उचित नहीं है।”

उन्होंने जम्मू-कश्मीर पुलिस की भी सराहना की, जिसने ‘सफेदपोश’ आतंकी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया और बड़े हमलों को रोकने में अहम भूमिका निभाई।

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