उत्तर प्रदेश में कोडीन कफ सिरप के अवैध कारोबार की जांच के लिए एसआईटी गठित, अब तक 32 गिरफ्तार

लखनऊ, 8 दिसंबर : उत्तर प्रदेश सरकार ने पांच जिलों में कोडीन-आधारित कफ सिरप और अन्य नशे के तौर पर इस्तेमाल होने वाली दवाओं के अवैध भंडारण और बिक्री की जांच के लिए सोमवार को विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया। यह एसआईटी एक आईजी स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में काम करेगी और इसमें खाद्य एवं औषधि सुरक्षा प्राधिकरण (एफडीएसए) के अधिकारी भी शामिल होंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गठित इस एसआईटी के गठन की जानकारी प्रमुख सचिव (गृह) संजय प्रसाद ने दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार इस मामले को “बेहद गंभीरता” से ले रही है और अवैध व्यापार की पूर्ण जाँच कराई जाएगी।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने बताया कि अब तक की जांच में प्रमुख ‘सुपर स्टॉकिस्ट’ का नेटवर्क उजागर हुआ है। इसमें वाराणसी से शुभम जायसवाल के पिता भोला जायसवाल, सहारनपुर से विभोर राणा और गाजियाबाद से सौरभ त्यागी को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि दो अन्य की पहचान की जा रही है और कार्रवाई जारी है।

डीजीपी ने कहा कि राज्य में तस्करी की गई कफ सिरप की भारी बरामदगी हुई है। अब तक लगभग 3.5 लाख बोतलें बरामद की गई हैं, जिनकी कीमत लगभग 4.5 करोड़ रुपये है। कुल 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जांच में यह भी पता चला है कि नेपाल और बांग्लादेश की ओर भी तस्करी की गई थी, और बैंकिंग चैनलों के माध्यम से वित्तीय लेनदेन के सबूत जुटाए जा रहे हैं।

शुभम जायसवाल के विदेश भाग जाने की अफवाहों पर कृष्ण ने कहा कि जरूरत पड़ने पर प्रत्यर्पण का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस मामले में जांच शुरू कर दी है और सोशल मीडिया पर फैल रही अनाधिकारिक खबरों को खारिज किया है।

खाद्य एवं औषधि सुरक्षा प्राधिकरण आयुक्त रोशन जैकब ने कहा कि कोडीन-आधारित कफ सिरप अनुसूची एच की दवा है और इसे केवल डॉक्टर के पर्चे पर बेचना कानूनी है। समस्या तब उत्पन्न होती है जब भारी मात्रा में बिना सहायक दस्तावेज़ और रिकॉर्ड के व्यापार किया जाता है। उन्होंने बताया कि विभाग ने अवैध व्यापार में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है और अब तक लगभग 280 दवा लाइसेंस रद्द करने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।

जैबक ने यह भी स्पष्ट किया कि मध्यप्रदेश में हुई किसी जानलेवा कफ सिरप की घटना का उत्तर प्रदेश में कोई संबंध नहीं है और सभी जिलों ने इसकी पुष्टि की है।

एसआईटी गठित होने के बाद जांच और कार्रवाई में तेजी आई है, और राज्य सरकार इस अवैध व्यापार को पूरी तरह समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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