नई दिल्ली, 21 नवंबर । उच्चतम न्यायालय ने केरल, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को चुनौती देने वाली नई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए शुक्रवार को सहमति जताई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने विभिन्न राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया को चुनौती देने वाले राजनीतिक नेताओं की याचिकाओं पर निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया।
केरल में एसआईआर को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव भी होने हैं और इस कारण मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है। पीठ ने निर्देश दिया कि केरल की याचिकाओं की सुनवाई 26 नवंबर को होगी, जबकि अन्य राज्यों में नई याचिकाओं पर दिसंबर के पहले या दूसरे सप्ताह में विचार किया जाएगा।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि यह अच्छी बात है कि अब निजी व्यक्तियों के बजाय राजनीतिक दल इस प्रक्रिया को चुनौती देने के लिए आगे आ रहे हैं। उच्चतम न्यायालय पहले ही पूरे भारत में एसआईआर कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।
गत 11 नवंबर को द्रमुक, माकपा, कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की याचिकाओं पर आयोग से जवाब मांगा गया था। इन याचिकाओं में तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों के एसआईआर को चुनौती दी गई थी।
केरल सरकार की याचिका में कहा गया है कि एसआईआर, विशेषकर जिस तरीके से इसे लागू किया जा रहा है, वह देश की लोकतांत्रिक राजनीति के अनुकूल नहीं है। राज्य ने न्यायालय से अनुमति मांगी है कि यदि आवश्यक समझा जाए तो एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने का उसका अधिकार सुरक्षित रखा जाए। याचिका में केरल सरकार ने एसआईआर स्थगित करने का अनुरोध भी किया है।
इसी तरह, कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने उत्तर प्रदेश में एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती दी है, जबकि पुडुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने केंद्र शासित प्रदेश में एसआईआर की कवायद को चुनौती दी है।
इस प्रकार उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्यों और राजनीतिक दलों की एसआईआर प्रक्रिया पर आपत्तियों का गंभीरता से अवलोकन किया जाएगा, और आयोग को इन याचिकाओं का जवाब प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
