ईडी को बड़ा झटका: हाईकोर्ट ने वसई-विरार के पूर्व आयुक्त अनिल पवार की गिरफ्तारी को बताया अवैध

मुंबई, 16 अक्टूबर  — बंबई उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को तगड़ा झटका देते हुए वसई-विरार नगर निगम के पूर्व आयुक्त अनिल पवार की गिरफ्तारी को “अवैध” करार दिया है। न्यायालय ने कहा कि पवार के खिलाफ “प्रथम दृष्टया” कोई मामला नहीं बनता और ईडी के पास गिरफ्तारी के लिए जरूरी ठोस साक्ष्य नहीं थे।

मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की खंडपीठ ने 22 पृष्ठों के अपने आदेश में स्पष्ट किया कि पवार की गिरफ्तारी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 19 के तहत तय कानूनी मापदंडों को पूरा नहीं करती। ईडी ने पवार को 13 अगस्त को धन शोधन के एक मामले में गिरफ्तार किया था, लेकिन अदालत ने इसे अधिकार क्षेत्र से बाहर और मनमानी करार दिया।

ईडी ने सह-आरोपी वाई एस रेड्डी के बयान के आधार पर आरोप लगाया था कि पवार को अवैध निर्माण से संबंधित भ्रष्ट धन प्राप्त हुआ। हालांकि अदालत ने पाया कि पवार या उनके परिवार से कोई आपत्तिजनक सामग्री बरामद नहीं हुई और ईडी का पूरा मामला काल्पनिक तथ्यों पर आधारित है।

पवार पर 41 अवैध इमारतों को मंजूरी देने का आरोप था, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि जिन वर्षों में ये निर्माण हुए, उस दौरान पवार नगर निगम के प्रमुख नहीं थे। बल्कि, पवार ने ही इन अवैध निर्माणों को गिराने का आदेश दिया था।

पवार के वकील उज्ज्वल कुमार चव्हाण ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह कानून के दायरे में निष्पक्षता की जीत है।

उच्च न्यायालय ने न केवल गिरफ्तारी को अवैध ठहराया, बल्कि विशेष अदालत द्वारा न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के आदेश को भी रद्द कर दिया और पवार की तत्काल रिहाई का आदेश दिया।

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