इंटरपोल से नोटिस जारी कराने का समय काफी कम हुआ है: सीबीआई निदेशक

 नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर – सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसी भगोड़े को हिरासत में लेने के लिए इंटरपोल से रेड नोटिस जारी करने के अनुरोधों पर कार्रवाई का समय औसतन 14 महीने से घटकर अब तीन महीने रह गया है।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने यहां ‘भगोड़ों का प्रत्यर्पण: चुनौतियां और रणनीतियां’ विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन किया जिसका उद्घाटन गृह मंत्री अमित शाह ने किया।

सूद ने इस मौके पर कहा कि वर्तमान में एजेंसियों के पास इंटरपोल नोटिस जारी करने के केवल आठ प्रस्ताव लंबित हैं, जिनमें सबसे पुराना प्रस्ताव एक महीने पहले का ही है।

सीबीआई निदेशक ने कहा कि 2024 की तुलना में 2025 के पहले नौ महीनों में 189 नोटिस जारी किये गये, जिनमें 79 ‘रेड’ नोटिस और 110 ‘ब्लू’ नोटिस शामिल हैं।

पिछले साल 96 इंटरपोल नोटिस (52 ‘रेड’ और 44 ‘ब्लू’) जारी किए गए थे।

इंटरपोल का ‘रेड’ नोटिस एक अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट के समान है, जिसका इस्तेमाल दुनियाभर की कानून प्रवर्तन एजेंसियों से एक वांछित व्यक्ति का पता लगाने और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने के लिए किया जाता है।

‘ब्लू’ नोटिस का उद्देश्य किसी आपराधिक जांच से जुड़े व्यक्ति की पहचान, ठिकाना और गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त जानकारी एकत्र करना है।

सूद ने कहा, ”अब तक इंटरपोल ने भगोड़ों के खिलाफ कुल 957 ‘रेड’ नोटिस जारी किए हैं। इनमें से 231 सीबीआई मामलों से संबंधित हैं, 130 राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए), 21 प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), 12 स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) और शेष विभिन्न राज्य पुलिस बलों से संबंधित हैं।’’

सूद ने कहा कि 189 ‘रेड’ नोटिस आर्थिक अपराधों से संबंधित हैं, 254 आतंकवाद के मामलों से, 21 धनशोधन से, 55 मादक पदार्थों से तथा शेष बलात्कार, हत्या, अपहरण आदि जैसे अपराधों से संबंधित हैं।

उन्होंने कहा, ”भारतपोल की शुरुआत के परिणामस्वरूप, प्रकाशन के लिए इंटरपोल को प्रस्ताव भेजने में लगने वाला औसत समय काफी कम हो गया है जो 14 महीने से घटकर लगभग तीन महीने रह गया है। वर्तमान में, सीबीआई के पास केवल आठ प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं, जिनमें सबसे पुराना प्रस्ताव केवल एक महीने पुराना है।’’

सीबीआई प्रमुख ने कहा कि अभी इन आंकड़ों पर गर्व नहीं किया जा सकता, इसके दो कारण हैं: पहला, अन्य देशों की तुलना में यह संख्या अभी भी काफी कम है और दूसरा, वास्तविक कार्य तो नोटिस प्रकाशित होने के बाद ही शुरू होता है।

उन्होंने कहा, ”अगला प्रमुख कार्य वांछित भगोड़ों का पता लगाना और अंतत: उन्हें न्यायिक कार्रवाई का सामना करने के लिए देश में वापस लाना है।’’

सूद ने कहा कि भारत के विभिन्न देशों के पास 338 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित हैं।

उन्होंने कहा, ”2023 में हम 29 भगोड़ों को वापस लाने में सफल रहे और 2024 में 30 भगोड़ों को। वर्ष 2025 में अब तक 35 भगोड़ों को न्यायिक कार्रवाई का सामना करने के लिए वापस लाया जा चुका है।’’

दो दिवसीय सम्मेलन में सात सत्रों में विदेशों में छिपे भगोड़ों के प्रत्यर्पण से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जायेगा, जिसमें राज्य पुलिस बल, विदेशी गणमान्य व्यक्ति और केंद्रीय एजेंसियां ​​भी भाग लेंगी।

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