अयोध्या में ध्वजारोहण: PM आज फहराएंगे कोविदार ध्वज

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भगवा ध्वज फहराएंगे। श्रीराम और मां सीता की विवाह पंचमी के अभिजीत मुहूर्त में ध्वजारोहण होगा।

अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर मंगलवार को फहराया जाने वाला कोविदार ध्वज न केवल एक धार्मिक प्रतीक होगा, बल्कि यह त्रेता युग की परंपरा को कलियुग में पुनर्जीवित करने वाला ऐतिहासिक क्षण भी बनेगा। यह वही ध्वज है जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में मिलता है और जिसे प्राचीन काल से अयोध्या की पहचान माना गया है। मंदिर ट्रस्ट ने इस विशेष ध्वज का चयन कर राम नगरी के गौरव को पुनः प्रतिष्ठित किया है।

रामायण में मिलता है कोविदार ध्वज का उल्लेख
वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि चित्रकूट में वनवास के दौरान भगवान राम ने लक्ष्मण को ध्वजों से सुसज्जित सेना के आने की सूचना दी थी। इस पर लक्ष्मण ने कहाफ— “स एष हि महाकायः कोविदारध्वजो रथे”—अर्थात यह विशाल कोविदार युक्त ध्वज भरत के रथ का प्रतीक है। यह प्रसंग स्पष्ट करता है कि कोविदार वृक्ष से युक्त ध्वज रघुकुल का राजध्वज और अयोध्या की पहचान रहा है। समय के साथ भुला दी गई इस परंपरा को रीवा के इतिहासकार ललित मिश्रा ने शोध के माध्यम से पुनः खोजा, जिसके बाद मंदिर ट्रस्ट ने इसी ध्वज को फहराने का निर्णय लिया।

क्यों कहा जाता है इसे कोविदार ध्वज?
इस ध्वज पर कोविदार वृक्ष, सूर्य और ऊं के प्रतीक अंकित हैं।

कोविदार वृक्ष रघुवंश का मूल प्रतीक है।

सूर्यवंशी वंश होने के कारण ध्वज में सूर्य का चिन्ह शामिल किया गया है।

ऊं का चिन्ह सनातन संस्कृति के आध्यात्मिक वैभव को दर्शाता है।

ध्वज का निर्माण अहमदाबाद की पैराशूट निर्माण कंपनी ने किया है। नायलॉन और सिल्क के मिश्रित कपड़े से तैयार यह ध्वज तीन किलोमीटर दूर से भी दिखाई देता है। सेना और रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों की मौजूदगी में इसका सफल ट्रायल हो चुका है। इसे मैन्युअल और इलेक्ट्रॉनिक, दोनों तरीकों से फहराया जा सकेगा। संभावना है कि प्रधानमंत्री इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से रिमोट द्वारा इसे फहराएंगे।

मंदिर परिसर में लगाए गए हैं कोविदार वृक्ष
प्राण प्रतिष्ठा के समय ही मंदिर परिसर में कोविदार के पौधे लगाए गए थे, जो अब 8–10 फुट ऊँचे हो चुके हैं। ध्वजारोहण के बाद श्रद्धालु इनके दर्शन कर सकेंगे, जिससे उन्हें अयोध्या की प्राचीन परंपरा का सजीव अनुभव मिलेगा। पहले कचनार को रघुकुल का वृक्ष माना जाता था, परंतु शोधों ने स्पष्ट किया कि वास्तविक पवित्र वृक्ष कोविदार ही है।

पहला हाइब्रिड पौधा था कोविदार
हरिवंश पुराण के अनुसार महर्षि कश्यप ने पारिजात और मंदार के गुणों को मिलाकर कोविदार का निर्माण किया था। यह संभवतः दुनिया का पहला हाइब्रिड प्लांट बताया जाता है। 15–25 मीटर ऊँचाई वाला यह वृक्ष बैगनी फूलों और स्वादिष्ट फलों से युक्त होता है।

राम मंदिर के भव्य निर्माण के बाद यह ध्वज न सिर्फ परंपरा का पुनर्जागरण करेगा, बल्कि सनातन इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक भी बनेगा।

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