नयी दिल्ली, 11 नवंबर : लाल किले के पास हुए घातक विस्फोट के बाद सुरक्षा एजेंसियाँ उस रास्ते का पता लगाने में जुटी हैं जिससे एक “सफेदपोश” आतंकी नेटवर्क ने अमोनियम नाइट्रेट समेत भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री हासिल की और संग्रहीत की। प्रारंभिक जांच से आशंका है कि यही रसायन सोमवार के विस्फोट में इस्तेमाल हुआ, जिसमें अब तक 12 लोगों की मौत और कई घायलों की पुष्टि हुई है।
पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने विस्फोट के कुछ घंटों के भीतर ही हरियाणा के फरीदाबाद में एक अंतर-राज्यीय आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया, जिसमें तीन डॉक्टर्स समेत आठ लोग गिरफ्तार हुए और करीब 2,900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किया गया। यह मॉड्यूल कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ बताया जा रहा है।
अमोनियम नाइट्रेट एक “दोहरे उपयोग” वाला रसायन है: इसका व्यापक उपयोग उर्वरक और निर्माण/खनन में नियंत्रित विस्फोट के लिए होता है। लेकिन पोटाशियम क्लोरेट, सल्फर या ईंधन तेल के साथ मिलाकर यह अस्थिर हो कर एएनएफओ (अमोनियम नाइट्रेट – फ्यूल ऑयल) जैसे घातक मिश्रण में बदल जाता है, जो आतंकवादी समूहों द्वारा आईईडी के घटक के रूप में बार-बार इस्तेमाल किया गया है। 2019 के पुलवामा लेथपुरा हमले में भी इस रसायन का प्रयोग आरडीएक्स के साथ किया गया था और तब सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे।
सरकार और सुरक्षा तंत्र पिछले कई वर्षों में अमोनियम नाइट्रेट के दुरुपयोग को रोकने के लिए नियम कड़े कर चुके हैं। 2011 में 45 प्रतिशत से अधिक अमोनियम नाइट्रेट वाले उर्वरकों को विस्फोटक घोषित किया गया और 2015 में इसके आयात, परिवहन और ढुलाई के मानदंड सख्त किए गए, जिसमें ढुलाई केवल पैक्ड बैग में, जीपीएस ट्रैकिंग और सशस्त्र गार्ड की तैनाती जैसे प्रावधान शामिल हैं। बावजूद इसके, एजेंसियाँ यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि इतनी मात्रा में यह रसायन किस स्रोत से और किन-किस माध्यमों से एकत्र और स्टोर किया गया।
जांच का दायरा अब खरीद के चैनल, ट्रकों और गोदामों के रिकॉर्ड, विक्रेता और खरीदारों के बैंक व मोबाइल ट्रेल पर केंद्रित है। साथ ही सुरागों को जोडते हुए उन रास्तों की तलाशी हो रही है जहां से यह रसायन अवैध रूप से बाहर निकला होगा। एजेंसियाँ यह भी देख रही हैं कि प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर कौन-कौन से लोग इस नेटवर्क से जुड़े थे और क्या यह किसी बड़े शेड्यूल का हिस्सा था।
वर्तमान में मामला राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और कई केंद्रीय एजेंसियों की संयुक्त जांच में है और अभी और खुलासे संभव हैं क्योंकि छानबीन निरन्तर जारी है।
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