पटना, 30 अक्टूबर । बिहार में विधानसभा चुनावी सरगर्मी के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी के समर्थन में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विधानसभा चुनाव के बाद “सम्राट चौधरी को बड़ा आदमी, बहुत बड़ा आदमी बनाने जा रहे हैं।” शाह का यह बयान राजनीतिक हलकों में गहरी हलचल पैदा कर गया है।
शाह मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा क्षेत्र में आयोजित एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे, जहां से सम्राट चौधरी भाजपा के उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा, “जैसा कि सम्राट चौधरी ने बताया, उनका जन्म इसी धरती पर हुआ था। हमने स्थानीय जदयू विधायक राजीव सिंह को सम्राट चौधरी के पक्ष में अपनी सीट छोड़ने के लिए राजी किया। तारापुर के लोग भाग्यशाली हैं—आपका विधायक पहले से ही उपमुख्यमंत्री है।”
भाजपा के रणनीतिकार माने जाने वाले शाह ने लोगों से चौधरी के पक्ष में मतदान की अपील करते हुए कहा, “कृपया उन्हें वोट दें और उनकी जीत सुनिश्चित करें। आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें बड़ा आदमी बनाने जा रहे हैं।”
अमित शाह की इस टिप्पणी को राजनीतिक विश्लेषक बिहार में राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के समीकरणों में संभावित बदलाव के संकेत के रूप में देख रहे हैं। विपक्ष ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हटाकर सम्राट चौधरी को शीर्ष पद पर बैठाने की तैयारी में है।
कांग्रेस नेता और मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने शाह के बयान को उद्धृत करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “केवल मुख्यमंत्री ही उपमुख्यमंत्री से बड़ा आदमी होता है। नीतीश जी, आशा है आप सुन रहे होंगे।”
बिहार देश का एकमात्र हिंदी भाषी राज्य है जहां भाजपा ने अब तक अपने दम पर सरकार का नेतृत्व नहीं किया है। सम्राट चौधरी का तेजी से उभरना भाजपा की ओबीसी, खासतौर पर कुशवाहा समुदाय तक पहुंच बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कुशवाहा समुदाय, जो राज्य की ओबीसी आबादी का बड़ा हिस्सा है, परंपरागत रूप से राजद और जदयू के समर्थन आधार का हिस्सा रहा है।
सम्राट चौधरी पहले जदयू और राजद दोनों में रह चुके हैं। लगभग एक दशक पहले भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने संगठन में तेज़ी से जगह बनाई और वर्तमान में वे उपमुख्यमंत्री पद तक पहुंचे हैं। इस बार वे विधान परिषद के बजाय प्रत्यक्ष रूप से विधानसभा चुनाव मैदान में हैं।
अमित शाह के इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई अटकलों को जन्म दे दिया है — क्या भाजपा नीतीश युग के बाद के नेतृत्व की ओर कदम बढ़ा रही है?
