अमित शाह आज करेंगे गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले अत्याधुनिक पोतों का लोकार्पण, मछुआरों को मिलेगी नई ताकत

मुंबई। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह आज मुंबई के मझगांव डॉक में गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले अत्याधुनिक पोतों का लोकार्पण करेंगे। यह ऐतिहासिक पहल भारत के समुद्री मत्स्य क्षेत्र के आधुनिकीकरण और सहकारी मॉडल के तहत तटीय विकास को नई गति देने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मील का पत्थर

इस अवसर पर लाभार्थी मछुआरों को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों की चाबियां सौंपी जाएंगी। यह पहल प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के अंतर्गत शुरू की गई है, जो देश को ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘ब्लू इकोनॉमी’ के सशक्तीकरण की दिशा में आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।

प्रति पोत लागत 1.2 करोड़ रुपये

इन अत्याधुनिक पोतों की प्रति इकाई लागत 1.2 करोड़ रुपये है। परियोजना में केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) और मत्स्य विभाग का संयुक्त वित्तीय सहयोग शामिल है। योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और दूरस्थ समुद्री इलाकों में मत्स्य संसाधनों के दोहन की क्षमता को बढ़ाना है।

उत्पादन और निर्यात बढ़ाने की पहल

अब तक भारतीय मछुआरे मुख्य रूप से 40 से 60 समुद्री मील की दूरी तक ही मछली पकड़ते रहे हैं, जिससे उत्पादन और आय सीमित रही। नई पहल से यह दायरा बढ़ेगा और गहरे समुद्र में उच्च मूल्य वाली मछलियों जैसे टूना और मैकरल के निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद है। इससे मत्स्य क्षेत्र में रोजगार और आय दोनों में वृद्धि होगी।

‘भारत समुद्री सप्ताह 2025’ की शुरुआत

अमित शाह आज सुबह 10:30 बजे नेस्को प्रदर्शनी केंद्र, मुंबई में ‘भारत समुद्री सप्ताह 2025’ का उद्घाटन भी करेंगे। पांच दिवसीय यह आयोजन 27 से 31 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें देश की समुद्री क्षमता, मत्स्य प्रौद्योगिकी, जहाजरानी, बंदरगाह विकास और ब्लू इकोनॉमी को मजबूत करने पर चर्चा होगी।

इस आयोजन का संयुक्त रूप से संचालन भारतीय बंदरगाह संघ और बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इसमें देश-विदेश के विशेषज्ञ, उद्योगपति और नीति निर्माता शामिल होंगे।

इस पहल से भारत का मत्स्य उद्योग अधिक आधुनिक, टिकाऊ और निर्यात उन्मुख बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा। यह कदम तटीय समुदायों के सशक्तीकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में भी एक निर्णायक प्रयास माना जा रहा है।

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