लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष पद की पात्रता में बड़ा संशोधन किया है। अब राज्य का मौजूदा प्रमुख सचिव या उसके समकक्ष अधिकारी भी आयोग का अध्यक्ष बन सकेगा। पहले यह प्रावधान था कि केवल वही व्यक्ति अध्यक्ष बन सकता है, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का सदस्य हो या रहा हो और राज्य सरकार में प्रमुख सचिव या समकक्ष पद पर रहा हो।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस संशोधन को “कैबिनेट बाई सर्कुलेशन” के माध्यम से मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही आयोग को नया अध्यक्ष मिलने का रास्ता साफ हो गया है, क्योंकि यह पद पिछले कई महीनों से रिक्त चल रहा है।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (संशोधन) अध्यादेश, 2025 को कैबिनेट से स्वीकृति मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन आयोग की बढ़ती कार्य-संरचना और दायरे को देखते हुए किया गया है, ताकि अध्यक्ष पद पर किसी अनुभवी और सक्षम अधिकारी की नियुक्ति की जा सके।
जानकारी के मुताबिक, आयोग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पांडेय के इस्तीफे के बाद यह पद रिक्त है। नए अध्यक्ष के चयन के लिए 21 अक्तूबर तक आवेदन लिए गए थे, जिनमें 67 आवेदक शामिल हैं — इनमें शिक्षाविदों के साथ प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी भी हैं।
मंत्री उपाध्याय ने कहा कि आयोग को शिक्षा विभाग से जुड़ी सभी भर्ती परीक्षाओं जैसे टीईटी, टीजीटी, पीजीटी और सहायक आचार्य चयन को पारदर्शी, निष्पक्ष और तकनीकी रूप से मजबूत ढंग से संपन्न कराने की जिम्मेदारी दी गई है। संशोधन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आयोग का नेतृत्व ऐसे अधिकारी को मिले जो आधुनिक आईटी आधारित परीक्षा प्रणाली को अपनाकर भर्ती प्रक्रिया को समयबद्ध और पारदर्शी बना सके।
