नई दिल्ली, 24 दिसंबर । उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता ने बुधवार को कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दोषी और भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित किए जाने के बाद उनके मन में आत्महत्या का विचार आया, लेकिन बच्चों के बारे में सोचकर उन्होंने ऐसा करने से खुद को रोका।
पीड़िता ने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, “यह बहुत दर्दनाक था। अगर मेरी शादी नहीं हुई होती और मेरे बच्चे नहीं होते, तो मैं न्यायाधीश के सामने ही आत्महत्या कर लेती। न्यायाधीश ने मेरे दर्द को नहीं समझा और फैसला सुना दिया।”
उन्होंने यह भी कहा कि यदि सेंगर जेल से रिहा होता है, तो अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जेल जाने के लिए तैयार हैं। पीड़िता ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने की इच्छा भी जताई ताकि वे अदालत के फैसले के कारण हो रही तकलीफ को उन्हें बता सकें।
पीड़िता ने कहा, “अगर दोषी को जेल से रिहा किया जा रहा है, तो हमें सुरक्षा की खातिर जेल में भेज दिया जाना चाहिए। दोषी बाहर आता है तो कम से कम हम सुरक्षित रहेंगे। बेरोजगार रहेंगे, लेकिन खाने की चिंता नहीं रहेगी।”
पीड़िता की मां ने कहा कि उनके वकील उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करेंगे। उन्होंने भरोसा जताया कि सर्वोच्च न्यायालय उन्हें न्याय देगा।
पीड़िता की बहन ने बताया कि उनके चाचा को अब भी धमकियां मिल रही हैं और उन्होंने पिता की मौत पर दुख व्यक्त किया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सेंगर को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। आदेश के अनुसार, सेंगर पीड़िता के आवास के पांच किलोमीटर के दायरे में नहीं जाएगा और पीड़िता या उनकी मां को धमकी नहीं देगा। अदालत ने चेतावनी दी कि इन शर्तों के उल्लंघन पर उसकी जमानत स्वतः रद्द हो जाएगी।
हालांकि, सेंगर अभी भी जेल में रहेगा क्योंकि वह बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है और उस मामले में उसे जमानत नहीं मिली है।
