उन्नाव बलात्कार पीड़िता ने जांच अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर सीबीआई से संपर्क किया

नई दिल्ली, 27 दिसंबर 2025 – वर्ष 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता ने पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के पक्ष में कथित मिलीभगत के लिए तत्कालीन जांच अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से संपर्क किया है।

इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराया गया था। पीड़िता ने दावा किया कि उसे और उसके परिवार को विभिन्न पक्षों से धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है, जब सेंगर को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में सशर्त जमानत दी गई और उसकी आजीवन कारावास की सजा निलंबित की गई। हालांकि, सेंगर जेल में रहेगा क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत मामले में 10 साल की सजा भी काट रहा है।

पीड़िता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि जांच अधिकारी ने दुर्भावना और कपटपूर्ण तरीके से जांच की ताकि सेंगर और अन्य आरोपियों को “जानबूझकर की गई चूक और पेश किए गए तथ्यों में हेरफेर” का लाभ मिल सके। उसने आरोप लगाया कि आरोप पत्र में जाली स्कूल दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया, जिसमें उसे एक सरकारी स्कूल की छात्रा के रूप में दिखाया गया और उसकी जन्मतिथि भी बदल दी गई, जबकि उसने कभी उस स्कूल में प्रवेश नहीं लिया था।

इसके अलावा, पीड़िता ने कहा कि आरोप पत्र में उल्लेख किया गया कि वह हीरा सिंह नाम की महिला का मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रही थी, जबकि ऐसा नहीं था। आरोप पत्र में कई बयानों को उसके हवाले से शामिल किया गया। पीड़िता ने बताया कि उसने पहले भी शिकायत की थी, लेकिन अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

निचली अदालत ने सेंगर को दोषी ठहराते समय जांच अधिकारी द्वारा उसके बयान दर्ज करने पर सवाल उठाया और संकेत दिया कि अधिकारी ने सेंगर और अन्य आरोपियों को बचाने के लिए “मिलीभगत” की। सीबीआई ने मुकदमे के दौरान इस टिप्पणी को चुनौती दी थी और कहा कि मोबाइल फोन पर जांच अधिकारी के दावे केवल “महज राय” थे, ना कि निर्णायक सबूत।

अदालत ने कहा था, ”मामले में जो दिखाई देता है, उससे कहीं अधिक है। ऐसा प्रतीत होता है कि जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं की गई और जांच अधिकारी/सीबीआई का रवैया इस बात का संकेत देता है कि लड़की का बयान वर्तमान मामले में पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों के कथन को अविश्वसनीय ठहराने के उद्देश्य से दर्ज किया गया।”

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